30.7.15

शास्त्रों से- सोते समय सिर किधर रखें और पैर किधर रखें


शास्त्रों से- सोते समय सिर किधर रखें और पैर किधर रखें
शास्त्रों में सभी जरूरी कामों के लिए खास बातें बताई गई हैं, इन बातों का ध्यान रखने पर स्वास्थ्य लाभ के साथ ही सुख-समृद्धि भी प्राप्त की जा सकती है। सोना भी दैनिक जीवन का बहुत जरूरी अंग है। सोने के संबंध में की गई लापरवाही स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकती है। सोते समय सिर किस दिशा में रखना चाहिए और पैर किस दिशा में, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
किस दिशा में सिर रखें
दक्षिण दिशा की ओर सिर एवं पैर उत्तर दिशा की ओर करके सोना सबसे अच्छा रहता है। ऐसे सोने पर कई बीमारियां दूर रहती हैं। वातावरण में भी चुम्बकीय शक्ति होती है, ये शक्ति दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बहती रहती है। जब हम दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोते हैं तो यह ऊर्जा हमारे सिर से प्रवेश करती है और पैरों के रास्ते बाहर निकल जाती है। इस क्रिया से भोजन आसानी से पच जाता है। सुबह जब हम उठते हैं तो दिमाग शांत रहता है और ताजगी महसूस होती है।

यदि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोएंगे तो...
यदि हम दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोएंगे तो चुम्बकीय ऊर्जा पैरों से प्रवेश करती है और सिर तक पहुंचती है। इस स्थिति मानसिक तनाव बढ़ता है और नींद ठीक से नहीं आती है। इसीलिए सोते समय पैर दक्षिण दिशा की ओर करना मना किया गया है।
यदि दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोना संभव ना हो तो...
यदि किसी कारण से दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोना संभव न हो तो पूर्व दिशा में सिर और पश्चिम दिशा में पैर रखकर सो सकते हैं। इस संबंध में मान्यता ये है कि पूर्व दिशा से सूर्योदय होता है और सूर्य को भगवान माना जाता है। यदि हम पूर्व दिशा में पैर रखकर सोएंगे तो सूर्योदय के समय हमारे पैर सूर्य के सामने रहेंगे, जो कि अशुभ माना जाता है। सूर्य के लिए सम्मान बना रहे, इसके लिए पूर्व दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए।
सोने से पहले ध्यान रखें ये बातें भी...
रात को खाना खाने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए। खाने के बाद कुछ देर पैदल चलना चाहिए, वज्रासन में बैठना चाहिए। खाने के करीब 2 घंटे बाद सोना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। सोने से पहले अच्छा साहित्य पढ़ना चाहिए। भगवान के मंत्रों का जप करके सोएंगे तो बुरे सपने नहीं आएंगे। सोने से पहले मनपसंद संगीत सुन सकते हैं, इससे मन शांत होता है और नींद अच्छी आती है। रात को जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के समय बिस्तर छोड़ देना चाहिए। सूर्योदय के बाद उठने से आलस्य बढ़ता है।

21.7.15

इन्द्रजाल नामक एक जड़ी

इन्द्रजाल नामक एक जड़ी : इन्द्रजाल के नाम से एक जड़ी भी पाई जाती है जिसके तांत्रिक प्रयोग होते हैं। कहते हैं कि यह जड़ी पहाड़ी और समुद्री स्थलों पर मिलती है।
माना जाता है कि यदि आप पर किसी ने टोना, टोटका या कोई तांत्रिक प्रयोग किया हो तो इस जड़ी से आप इस तरह के कूप्रभावों से बच सकते हैं।
यह जड़ी मकड़ी के जाल जैसी होती है। जैसे मोर के पंख में जाल गूंथा गया हो। दरअसल यह एक समुद्री पौधा है जिसमें पत्ती नहीं होती। इन्द्रजाल की महिमा डामरतंत्र, विश्वसार, रावणसंहिता, आदि ग्रंथों में बताई गई है। कहते हैं कि इसे विधिपूर्वक प्रतिष्ठा करके साफ कपड़े में लपेटकर पूजा घर में रखने से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। इसमें चमत्कारी गुण होते हैं। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह हम नहीं जानते।

12.7.15

वाहन का रंग और अंक यदि आपके मूलांक के अनुसार

आपके वाहन का रंग और अंक यदि आपके मूलांक के अनुसार हो तो वह अघिक उपयुक्त रहेगा।
वाहन के अंक [नंबर] तथा रंग के शुभत्व का निर्धारण अंक ज्योतिष के मूलांक के स्वामी तथा ज्योतिष शास्त्र में वर्णित उस मूलांक स्वामी के नैसर्गिक मित्र ग्रहों के स्वामित्व वाले अंकों के आधार पर किया जाना हितकर होता है। किसी व्यक्ति की जन्म तारीख ही उसका मूलांक होती है जैसे 19 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 1+9= 10 अर्थात् एक होगा। वाहन अंक जानने के लिए वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबरों को जोड़कर इकाई में परिवर्तित करते हैं जैसे 5674 नंबर का अंक बनेगा- 5+6+7+4= 22= 2+2= 4। एक से नौ मूलांक तक के व्यक्तियों के लिए वाहन अंक तथा उसके रंग का शुभत्व इस प्रकार जानें-
मूलांक-1: जिनका जन्म किसी भी मास की 1, 10, 19 अथवा 28 तारीख को हुआ हो, तो उनका मूलांक एक होगा। इनके लिए 1, 2, 3 व 9 अंक वाले वाहन शुभ रहेंगे इनके लिए सुनहला, सफेद, पीला, ताम्रवर्ण, हल्का भूरा तथा क्रीमिश रंग शुभ रहेंगे। काला तथा नीला रंग शुभ नहीं।
मूलांक- 2: जिनका जन्म किसी भी मास की 2, 11, 20, 29 तारीख को हुआ हो उनके लिए 1, 2 तथा 5 अंक वाले वाहन शुभ रहेंगे। इन्हें सफेद, क्रीम, अंगूरी तथा हल्का हरा रंग शुभकारक है।
मूलांक- 3: जिनका जन्म किसी भी मास की 3, 12, 21 व 30 तारीख हो हुआ है। उनके लिए 1, 2, 3 व 9 अंक वाले वाहन शुभ होते हैं। इनके लिए पीला, हल्का गुलाबी, क्रीमिश, सफेद रंग शुभ है।
मूलांक- 4: किसी भी माह की 4, 13, 22 तथा 31 तारीख को जन्मे व्यक्तियों का मूलांक 4 होता होता है। इनके लिए 4, 5, 6, 7 व 8 अंक वाले वाहन शुभ श्रेयस्कर रहेंगे इनके लिए धूप-छांव, हरा, सफेद, खाकी, भूरा, नीला तथा काला रंग श्रेष्ठ रहेगा।
मूलांक- 5: जिनका जन्म 5, 14 तथा 23 तारीख को हुआ है । इनके लिए अंक 1, 5 तथा 6 वाले वाहन शुभ हैं। हरा, सूआ पंखी, मूंगिया, ताम्रवर्ण, क्रीमिश तथा चमकीले रंग वाले वाहन शुभ रहेंगे।
मूलांक- 6: जिनका जन्म किसी मास की 6, 15, 24 तारीख को हुआ हो उनका मूलांक 6 होगा । इनके लिए 5, 6 व 8 अंक वाले वाहन शुभ श्रेयस्कर रहेंगे। इनके लिए हल्का नीला, आसमानी, हल्का खाकी, भूरा तथा हल्का गुलाबी रंग श्रेष्ठ रहेगा।
मूलांक- 7: जिनका जन्म 7, 16, 25 तारीख को हुआ हो उनका मूलांक स्वामी केतु है। इन्हें 4, 5, 6, 7 तथा 8 जोड़ वाले अंक के वाहन शुभ रहेंगे। इनके लिए शुभ रंग धूप-छांव, हरा, सफेद, नीला तथा काला है।
मूलांक- 8: दिनांक 8, 17 तथा 26 को जन्मे व्यक्तियों के लिए 5, 6 तथा 8 अंक वाले वाहन शुभ श्रेयस्कर रहेंगे। इन्हें गहरे रंग नीले, काले तथा हरे, काकरोजी, स्लेटी आदि शुभ रंग श्रेयस्कर हैं।
मूलांक- 9: किसी भी माह की तारीख 9, 18, 27 को जन्मे व्यक्तियों का मूलांक स्वामी मंगल होगा। इन्हें 1, 2 व 3 अंक वाले वाहन शुभ हैं। इनके लिए शुभ रंग गुलाबी, गहरा लाल, मैरून नारंगी, पीले या इनसे संबंधित दो रंगों से मिलाकर बने रंग शुभ रहेंगे।
जिन व्यक्तियों के पास पहले से जिस किसी भी अंक या रंग का वाहन है तथा वे उनके लिए शुभ श्रेयस्कर है तो उन्हें उसी को शुभ अंक और रंग मानना चाहिए। उपयुक्त अंक और रंग पर वह विचार नहीं करें।
मेष राशि- मेष राशि की महिलाएं लालिमायुक्त, सफेद, क्रीमी तथा मेहरून रंग की नेल पॉलिश प्रयोग में लाएं।
वृष राशि- लाल, सफेद, गेहूंआ या गुलाबी रंग या इनसे मिश्रित रंगों की नेल पॉलिश लगाएं।
मिथुन- आपके लिए हरी, फिरोजी, सुनहरा सफेद या सफेद रंग की नेल पॉलिश उपयुक्त रहेगी।
कर्क- श्वेत व लाल या इनसे मिश्रित रंग अथवा लालिमायुक्त सफेद रंग की नेल पॉलिश का प्रयोग उपयोगी रहेगा।
सिंह- गुलाबी, सफेद, गेरूआ, फिरोजी तथा लालिमायुक्त सफेद रंग उपयुक्त है।
कन्या- आप हरे, फिरोजी व सफेद रंग की नेल पॉलिश लगाएं।
तुला- जामुनी, सफेद, गुलाबी, नीली, ऑफ व्हाइट एवं आसमानी रंग की नेल पॉलिश अनुकूल रहेगी।
वृश्चिक- सुनहरी सफेद, मेहरून, गेरूआ, लाल, चमकीली गुलाबी या इन रंगों से मिश्रित रंग की नेल पॉलिश लगाएं।
धनु- पीला, सुनहरा, चमकदार सफेद, गुलाबी या लालिमायुक्त पीले रंग की पॉलिश लगाएं।
मकर- सफेद, चमकीला सफेद, हल्का सुनहरी, मोरपंखी, बैंगनी तथा आसमानी रंग की नेल पॉलिश उपयुक्त है।
कुंभ- जामुनी, नीला, बैंगनी, आसमानी तथा चमकीला सफेद रंग उत्तम रहेगा।
मीन- पीला, सुनहरा, सफेद, बसंती रंगों का प्रयोग करें। सदा अनुकूल प्रभाव देंगे।
ऊपर बताए गए रंग राशि स्वामी तथा उनके मित्र ग्रहों के रंगों के अनुकूल हैं।

11.7.15

पति-पत्नी के तनाव को दूर करता है ये हनुमान मंदिर

पति-पत्नी के तनाव को दूर करता है ये हनुमान मंदिर

संकट मोचन हनुमान जी के ब्रह्मचारी रूप से तो सभी परिचित हैं। उन्हें बाल ब्रम्हचारी भी कहा जाता है। लेकिन क्या अपने कभी सुना है कि हनुमान जी का विवाह भी हुआ था? उनका उनकी पत्नी के साथ एक मंदिर भी है? जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और कहते हैं कि यदि पति और पत्नी के बीच किसी भी प्रकार का तनाव है या तलाक की नौबत आ रही है तो इस मंदिर के दर्शन मात्र से यह समस्या दूर हो जाती है।
कहां है यह मंदिर : तेलंगाना के खम्मम जिले में एक मंदिर ऐसा विद्यमान है, जो प्रमाण है हनुमानजी के विवाह का। इस मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा के साथ उनकी पत्नी की प्रतिमा भी विराजमान है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। तेलंगाना के खम्मम जिला में येल्नाडु गांव में स्थित है यह हनुमान मंदिर। हैदराबाद से करीब 220 किलोमीटर दूर है।
दाम्पत्य जीवन में मिलता है सुख : माना जाता है कि हनुमानजी के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के बाद पति-पत्नी के बीच चल रहे सारे विवाद समाप्त हो जाते हैं। हनुमान जी के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के बाद घर में चल रहे पति पत्नी के बीच के सारे तनाव खत्म हो जाते हैं। मंदिर में दर्शन करने और हनुमानजी के समक्ष अच्छे से जीवन बिताने का वादा करने के बाद यह वादा दोनों पति और पत्नी को निभाना होता है। अन्यथा उनका बुरा हाल हो जाता है। उनके दर्शन के बाद जो भी (पति या पत्नी) विवाद की शुरुआत करता है, उसका बुरा ही बुरा होता रहता है।

हनुमानजी की पत्नी का नाम : हनुमानजी की पत्नी का नाम सुवर्चला था। वैसे तो हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और आज भी वे ब्रह्मचर्य के व्रत में ही हैं, विवाह करने का मतलब यह नहीं कि वे ब्रह्मचारी नहीं रहे। कहा जाता है कि पराशर संहिता में हनुमानजी का किसी खास परिस्थिति में विवाह होने का जिक्र है। कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण ही बजरंगबली को सुवर्चला के साथ विवाह बंधन में बंधना पड़ा।

क्यों किया विवाह : इस संबंध में एक कथा है कि हनुमानजी ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था। हनुमानजी भगवान सूर्य से अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। सूर्य कहीं रुक नहीं सकते थे इसलिए हनुमानजी को सारा दिन भगवान सूर्य के रथ के साथ-साथ उड़ना पड़ता था और भगवान सूर्य उन्हें तरह-तरह की विद्याओं का ज्ञान देते। लेकिन हनुमानजी को ज्ञान देते समय सूर्य के सामने एक दिन धर्मसंकट खड़ा हो गया।
कुल 9 तरह की विद्याओं में से हनुमानजी को उनके गुरु ने 5 तरह की विद्याएं तो सिखा दीं, लेकिन बची 4 तरह की विद्याएं और ज्ञान ऐसे थे, जो केवल किसी विवाहित को ही सिखाए जा सकते थे। हनुमानजी पूरी शिक्षा लेने का प्रण कर चुके थे और इससे कम पर वे मानने को राजी नहीं थे। इधर भगवान सूर्य के सामने संकट था कि वे धर्म के अनुशासन के कारण किसी अविवाहित को कुछ विशेष विद्याएं नहीं सिखा सकते थे। ऐसी स्थिति में सूर्यदेव ने हनुमानजी को विवाह की सलाह दी।
अपने प्रण को पूरा करने के लिए हनुमानजी ने विवाह करने की सोची। लेकिन हनुमानजी के लिए वधू कौन हो और कहां से वह मिलेगी? इसे लेकर सभी सोच में पड़ गए। ऐसे में सूर्यदेव ने अपनी परम तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला को हनुमानजी के साथ शादी के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद हनुमानजी ने अपनी शिक्षा पूर्ण की और सुवर्चला सदा के लिए अपनी तपस्या में रत हो गई। इस तरह हनुमानजी भले ही शादी के बंधन में बंध गए हो, लेकिन शारीरिक रूप से वे आज भी एक ब्रह्मचारी ही हैं।

7.7.15

वास्तुदोष से होती है घरो में चोरी

वास्तुदोष से होती है घरो में चोरी
वास्तुशास्त्र के नियमानुसार जिनके घर का मुख्य दरवाजा पूर्व आग्नेय यानी पूर्व दिशा के अंतिम भाग में दक्षिण की ओर होता है उस घर में चोरी की आशंका प्रबल रहती है। ऎसे घर में कलह एवं अगि्न संबंधी दुर्घटनाएं भी होती हैं। अगर घर का मेन गेट बाहर की ओर झुका है तो उसे जल्दी ठीक करवा लेना चाहिए। इससे घर का मालिक अक्सर घर से बाहर रहता है और घर में चोरी की आशंका रहती है। पूर्व और दक्षिण भाग घर एवं आंगन से नीचा है तो उसे ऊंचा करने की व्यवस्था कर लें क्योंकि घर का यह वास्तुदोष आपकी जमा पूंजी चोरी करवा सकता है। इस वास्तुदोष से शत्रुओं के कारण भी नुकसान होता है।
उत्तर की अपेक्षा पश्चिम भाग अधिक बढा हुआ होना दोषपूर्ण माना जाता है। इस स्थिति में विरोधियों की संख्या बढती और घर में चोरी की घटनाएं होती हैं। पूर्व एवं उत्तर दिशा में मुख्य द्वार तिरछा नहीं होना चाहिए। इससे भी चोरी की आशंका बढ जाती है।
चोरी एवं दुर्घटना में कमी लाने के लिए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आग्नेय दिशा में ढलान नहीं हो। इस दिशा में गड्डे एवं बोरबेल, कुआं एवं पानी की टंकी नहीं हो। दक्षिण दिशा में उत्तर दिशा से अधिक सामान रखें, पश्चिम दिशा में पूर्व दिशा से कम खाली स्थान हो। चारदीवारी की दक्षिण और पूर्व आग्नेय में मेन गेट न हो तो ज्यादा अच्छा होगा।

5.7.15

झट मंगनी पट ब्याह करवाने वाले उपाये

झट मंगनी पट ब्याह करवाने वाले उपपय
शादी की शहनाईयां और गाजे का धुन इन दिनों हर युवा दिलों को गुदगुदा रहा है। कुंवारे लड़के लड़कियां इन धुनों को सुनकर अपनी शादी के सपने संजो रहे हैं।
अगर आपके भी अरमान जग उठे हैं और आप भी अपने जीवनसाथी को पाने की चाहत रखते हैं तो झट मंगनी पट शादी करवाने वाले सात उपायों को आजामाएं। यह उपाय ऐसे हैं जिनसे शादी में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को उनका जीवनसाथी मिल जाता है।
झट मंगनी और पट शादी करवाने वाले यह सात उपाय ऐसे हैं जिन्हें लड़का और लड़की दोनों ही आजमा सकते हैं। प्रेमी-प्रेमिका भी अपनी शादी में आ रही बाधा दूर करने के लिए इस उपाय को आजमा सकते हैं।
हर महीने के दो पक्ष होते हैं कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। आपको करना यह है कि शुक्ल पक्ष जब आए तब पहले सोमवार को भगवान शिव का व्रत रखें।
श्वेतार्क के वृक्ष की धूप, दीप से पूजा करें। इसके बाद इसके आठ पत्तों को तोड़कर सात पत्तों से थाली तैयार करें। आठवें पत्तल पर अपना नाम लिखकर भगवान शिव के सामने अर्पित कर दें।
जब लड़की की शादी में आए बाधा
अगर किसी लड़की की शादी की बात बनते-बनते रह जाती है तो बाधा दूर करने के लिए लड़की एक आसान सा उपाय कर सकती है।
जब लड़की के पिता, भाई या दूसरे रिश्तेदार शादी की बात करने जा रहे हों उस समय अपने बाल खुले रखें। लाल रंग के वस्त्र पहनकर अपने हाथों से उन लोगों को मिठाई खिलाएं जो विवाह की बात तय करने जा रहे हों।
इस बात का ध्यान रखें कि जब तक विवाह की बात करने गए लोग घर लौटकर नहीं आ जाएं अपने बालों को खुला ही रखें।
तब हनुमान जी बनाएंगे विवाह के योग
ऐसा नहीं है कि लड़की की शादी में ही विघ्न बाधाएं आती हैं। कई बार लड़कों के विवाह में भी काफी आड़चनें आती हैं और काफी उम्र हो जाने पर भी विवाह की बात पक्की नहीं हो पाती है।
इस तरह की समस्या से निजात पाने के लिए लड़के हनुमान ही की शरण ले सकते हैं। मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी की पूजा करें और उनके माथे से थोड़ा सा सिंदूर ले जाकर भगवान राम और देवी सीता के चरणों में अर्पित करते हुए शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।
21 मंगलवार तक इस उपाय को करने से विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं और जल्दी ही जीवनसाथी से मिलन होता है।
विवाह बाधा दूर करने के लिए सबसे आसान उपाय
जिस कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो वह एक आसान सा उपाय कर सकती हैं। किसी भी पूर्णिमा तिथि के दिन वट पक्ष की पूजा करें।
पूजा के बाद शीघ्र विवाह की कामना मन में लिए हुए 108 बार वृक्ष की परिक्रमा करें। वट वृक्ष का विवाह और वैवाहिक जीवन के सुख के मामले में बड़ा ही महत्व है।

आर्थिक समस्याओं से परेशान रहते

आर्थिक समस्याओं से परेशान रहते हैं, आजमाइए इन पांच उपायों को

झाड़ू से धन आगमन के रास्ते बनाएं
प्राचीन मान्यता है कि झाड़ू में देवी लक्ष्मी का वास होता है जो कंगाली और दरिद्रता को दूर करके घर में सुख-संपत्ति की वृद्घि करने में सहायक होती है।
यही कारण है कि झाड़ू को छुपाकर रखने की बात कही जाती है और कहा जाता है कि झाड़ू को कभी पटकना नहीं चाहिए और न पैर लगाना चाहिए।
जो लोग धन संबंधी समस्याओं से परेशान रहते हैं उन्हें किसी भी शुक्रवार के दिन एक झाड़ू ले जाकर मंदिर में दान कर देना चाहिए। झाड़ू के दान से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आय में आने वाली बाधा दूर होती है।
धनिये से धन की वृद्घि
धन वृद्घि के लिए एक अन्य उपाय यह कर सकते हैं कि शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार या गुरुवार के दिन एक मिट्टी के बर्तन में 21 रुपये के सिक्के डालकर उसके ऊपर से मिट्टी भर दें।
इसके ऊपर धनिया बो दें। नियमित इसके उपर जल दें। अगर धनिये का खूब हरा भरा निकले तो समझ लीजिए कि आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर होने वाली है।
धनिये के पत्ते को आप जैसे चाहें उपयोग में लाएं इसके बाद सिक्कों को निकालकर लाल कपड़े में बांधकर घर में उस स्थान पर रख दें जहां आप पैसे या कीमती सामान रखते हैं।
गरुवार या शुक्रवार को करें यह काम
किसी भी शुक्रवार के दिन अशोक के पेड़ की जड़ लाकर उसे गंगा जल से शुद्घ कर लें। इसके बाद इसे लाल कपड़े में लपेट कर दाएं बाजू में बांध लें। अगर आप चाहें तो इसे तिजोरी या धन रखने के स्थान में भी रख सकते हैं।
इसके अलावा एक अन्य उपाय यह है आजमा सकते हैं कि गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की जड़ को पीले कपड़े में लपेटकर बाजू में बांध लें। यह भी धन बाधा दूर करने के कारगर माना गया है।
इसका कारण यह है कि केले की जड़ से गुरु अनुकूल होता है और अशोक की जड़ से शुक्र। दोनों ही ग्रह धन और सुख के कारक हैं। लेकिन यह ध्यान रखें कि केवल एक ही वस्तु का प्रयोग करें। दोनों का प्रयोग करेंगे तो परिणाम विपरीत भी हो सकता है क्योंकि इन दोनों ग्रहों में शत्रुवत संबंध है।
शनिवार को करें धन वृद्घि के यह उपाय
शनिवार के दिन एक सूखा नारियल लेकर उसके बीच में सुराख बनाएं और उसमें आटा, चीनी, तिल और गुड़ भर दें।
इस नारियल को शाम के समय सुनसान स्थान पर ले जाकर जमीन में दबा दें। इस उपाय से ग्रह दोषों के कारण धन आगमन में आ रही बाधा दूर होगी एवं आकस्मिक परेशानियों से भी बचाव होगा।
कोशिश करें कि हर शनिवार चिटियों को आटा दें और शनि महाराज को सरसो तेल का दीपक दान करें।
नमक भी है धन वृद्घि में सहायक
घर की साफ-सफाई के लिए पोछा तो जरुर लगता होगा। आप एक काम यह करें कि कोई भी एक दिन चुन लें उस दिन पोछा लगाते समय पानी में थोड़ा सा समुद्री नमक मिला दें।
इससे आम दिनों की तरह पोछा लगाएं। इससे परिवार में लोगों के स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा और आपसी स्नेह बढ़ेगा।
इससे धन आगमन में आने वाली बाधा भी दूर होगी। आप चाहें तो एक कटोरी में समुद्री नमक लेकर हर घर में कहीं रख दें। इसे हफ्ते में बदलते रहें। इससे नकारात्मक उर्जा का प्रभाव दूर होगा और धन आगमन में तेजी आएगी।