बाबा बालकनाथ जी की कहानी बाबा बालकनाथ अमर कथा में
पढ़ी जा सकती है, ऐसी मान्यता है, कि बाबाजी का जन्म
सभी युगों में हुआ जैसे कि सत्य युग,त्रेता युग,द्वापर युग और वर्तमान
में कल युग, और हर एक युग में उनको अलग-अलग नाम से जाना गया जैसे
“सत युग” में “ स्कन्द ”, “ त्रेता युग” में “ कौल” और “ द्वापर युग” में
“महाकौल” के नाम से जाने गये। अपने हर अवतार में उन्होंने
गरीबों एवं निस्सहायों की सहायता करके उनके दुख दर्द और
तकलीफों का नाश किया। हर एक जन्म में यह शिव के बडे भक्त
कहलाए। द्वापर युग में, ”महाकौल” जिस समय “कैलाश पर्वत” जा रहे
थे, जाते हुए रास्ते में उनकी मुलाकात एक वृद्ध स्त्री से हुई, उसने
बाबा जी से गन्तव्य में जाने का अभिप्राय पूछा, वृद्ध
स्त्री को जब बाबाजी की इच्छा का पता चला कि वह भगवान
शिव से मिलने जा रहे हैं तो उसने उन्हें मानसरोवर नदी के किनारे
तपस्या करने की सलाह दी, और माता पार्वती,
( जो कि मानसरोवर नदी में अक्सर स्नान के लिए आया करती थीं )
से उन तक पहुँचने का उपाय पूछने के लिए कहा। बाबाजी ने बिलकुल
वैसा ही किया और अपने उद्देश्य, भगवान शिव से मिलने में सफल हुए।
॥ जगत गुरु श्री गुरु दत्तात्रय भगवान की जय ॥
॥ जय श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ जी ॥
jogasinghwar. Blogaway
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