31.1.15

भाव- बचपन में शारिरीक स्थिति

1.प्रथम भाव- बचपन में शारिरीक
स्थिति की जानकारी देता है , किन्तु बढ़ती उम्र के
साथसाथ इससे शरीर के साथसाथ आत्मविश्वास , अन्य व्यक्तिगत गुण और अनुभव भी इसी भाव से देखे जाते हैं।
2.द्वितीय भाव- से बचपन में कौटुम्बिक
स्थिति को देखा जाता है , किन्तु बढ़ती उम्र के साथ
साथ इससे धन ,कोष , साख , परिवारआदि की स्थिति भी।
3.तृतीय भाव- बचपन में भाई , बहन से अच्छे या बुरे संबंध का बोध कराता है , पर बढ़ती उम्र के साथ यह पौरूष ,पराक्रम , अनुयायी कार्यकर्त्ताओं आदि की भी।
4.चतुर्थ भाव- बचपन में माता या माता के समान किसी गोद का अहसास देता है , जबकि उम्र बढ़ने के साथ साथ हर प्रकार की संपत्ति और स्थायित्व
आदि की मजबूती इसी भाव से देखी जाती है।
5.पंचम भाव- बालक के तर्कवितर्क शक्ति को बतलाता है ,जबकि उम्र बढ़ने के साथसाथ शैक्षणिक और व्यावसायिक योग्यता और संतान की स्थिति भी इसी भाव से देखे जाते हैं।
6.षष्ठ भाव- किसी बच्चे के रोगप्रतिरोधक
स्थिति को बतलाता है , जबकि बढ़ती उम्र के साथ रोग
के साथ साथ ऋण और शत्रु से लड़ने की क्षमता या प्रभाव
की स्थिति भी इसी भाव से देखे जाते हैं।
7सप्तम भाव- एक बच्चे के लिए उसके
दोस्तों को परिभाषित करता है , पर बड़े होने के बाद
व्यवसाय में साथ देने वाले भागीदार और विवाह के
पश्चात
पति या पत्नी की स्थिति की जानकारी इसी भाव से
पायी जा सकती है।
8.अष्टम भाव- से बालक के जीवन जीने के स्तर
का पता चलता है , परंतु बड़े होने के बाद दिनचर्या और जीवन जीने के ढंग का पता भी इसी भाव से चलता है।
9.नवम् भाव- से किसी बच्चे का भाग्य
देखा जाता है ,जबकि बड़े होने के बाद भाग्य के साथ
साथ स्वभाव , गुण , धर्म और संयोग भी।
10.दशम् भाव -से बच्चे का पिता पक्ष
देखा जाता है ,जबकि बड़े होने के बाद कर्म, विचार, पद
और प्रतिषठा का माहौल भी।
11.एकादश भाव- बच्चे के लिए सामान्य लाभ का द्योतक
है , जबकि बड़े के लिए अभीष्ट और मंजिल का।
12.-द्वादश भाव - किसी बालक के लिए सामान्य प्रकार
के खर्च का संकेत देता है , उम्र में वृद्धि के साथ साथ इससे
क्रयशक्ति , हानि तथा बाह्य व्यक्ति या स्थान से संबंध
भी देखा जाता है।

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