ज्योतिष: जन्म-पत्री: मेष राशि
भारतीय ज्योतिष-सिद्धांत के आधार पर जन्म-पत्री के कुण्डली-चक्र के जिस घर में (भाव में) चन्द्रमा होता है उस भाव में लिखा हुआ अंक जिस राशि का होता है वही (चन्द्र) राशि उस व्यक्ति की होती है, जिसकी जन्म-पत्री है.आप के कुण्डली-चक्र के जिस भाव में चंद्र लिखा हुआ है, यदि उसमें १लिखा है तो आपकी राशि ‘ मेष ’ हुई,
मेष राशि:
अश्विनी तथा भरणी के चारों चरण तथा कृतिका का पहला चरण अर्थात-चू , चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, और आ –इन नौ नक्षत्र-चरणों की ‘मेष’ राशि होती है. मेष राशि में जन्में बच्चों के नाम उपरोक्त अक्षरों से रखने की सलाह दी जाती है.
यह राशि ‘भेंड़’ जैसे स्वरुप वाली होती है. यह ‘पुरुष’ जाति वाली, पूर्व दिशा में निवास करने वाली, क्षत्रिय वर्ण,राजोगुणी, दृढ़ शरीर,ह्रस्व आकार, विषम अंगों वाली, रुक्ष अंगों वाली, उग्र स्वभाव की, रक्त पीत वर्ण, अग्नि तत्व, उष्ण प्रकृति , पित्त प्रधान, अति शब्दकारी, अल्प संततिवान,अहंकारी, साहसी, मित्रों के प्रति दयालु, कान्ति हीन, तथा राजा की मित्र है. इसका प्रभुत्व मस्तक (सिर) पर रहता है.
इसका स्वामी ‘मंगल’ है.
अश्विनी, भरणी तथा कृतिका नक्षत्रों के संयोग होने के कारण ऐसा व्यक्ति पतला परन्तु दृढ़ शरीर वाला, स्थूल जांघों वाला,तीव्र गति से चलने वाला, कोमल स्वभाव का, तथापि भयंकर कर्म करने वाला, पानी से डरने वाला, स्त्रियों के चित्त को प्रसन्न रखने वाला, पराक्रमी, धन तथा धर्म कमाने में दृढ़ निश्चयी, राजमान्य, परोपकारी, सुशील, चंचल, उतावला,
यात्रा प्रिय, दानी, परदेशवासी, तथा कठोर चित्त का होता है.
कभी-कभी इसे माता का सुख अधिक नहीं मिलता तथा दो विवाह होना संभव हो सकता है. युद्ध विभाग तथा स्वतंत्र व्यवसाय द्वारा इसकी उन्नति होती है. यह किसी न किसी रोग से निरंतर ग्रस्त बना रहता है.
इस राशि वाले जातक (मनुष्य) मेधावी, तार्किक, असहिष्णु, क्रोधी, साधारण ज्ञानी तथा श्रेष्ठ वक्ता होते हैं. ये इर्ष्यालु, कुशाग्र बुद्धि, युद्ध प्रिय, साहसी, विद्वान, स्वतंत्र विचारक, तथा उग्र स्वाभाव के भी होते हैं. इनके शरीर का वर्ण पीताभ, दांत बड़े, तथा अधिक पसीना आता है. ये सूझबूझ वाले,
दूरदर्शी एवं प्रत्येक कार्य में किसी से प्रेरणा की अपेक्षा रखते हैं. ये प्रायः ऐसे कार्यों से आजीविका का उपार्जन करते हैं जिनका सम्बन्ध अग्नि-धातु से हो.अश्विनी नक्षत्र में जन्में जातक चंचल स्वभाव के होने पर भी देवी गुण संपन्न होते हैं. भरणी नक्षत्र में उत्पन्न जातक मंद गति वाले तथा कामुक होते हैं. कृतिका नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्में जातक क्रोधी तथा हिंसक स्वाभाव के होते हैं.
इस राशि वालों को आयु के पहले, सातवें, आठवें तथा तेरहवें वर्ष में ज्वर, बारहवें वर्ष में जल से भय, सत्रहवें वर्ष में विशूचिका रोग, पच्चीसवें वर्ष में नेत्र ज्योति में कमी अथवा संतानोत्पत्ति तथा बत्तीसवें वर्ष में रोग, शत्रु या शस्त्र द्वारा भय प्राप्त होने की संभावना रहती है.
‘मेष’ राशि के लोगों के लिए रवि, सोम, मंगल व बुद्धवार शुभ तथा अन्य वार अशुभ रहते हैं. इनके लिए मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक,धनु तथा मीन राशि के स्त्री पुरुषों के साथ दोस्ती, शादी,तथा व्यावसायिक सम्बन्ध स्थापित करना शुभ एवं सुखदायक रहता है.
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