4.4.15

बजरंग बाण == == ==मूल पाठ== ==

बजरंग बाण
== == ==मूल पाठ== ==
' दोहा'
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
' चौपाई'
जय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।
जन के काज विलम्ब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै। जैसे
कूदि सिन्धु महिपारा, सुरसा बदन पैठि विस्तारा । आगे जाय
लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका । जाय विभीषन को
सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा । बाग उजारि
सिन्धु महं बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा । अक्षय कुमार को
मारि संहारा, लूम लपेट लंक को जारा । लाह समान लंक जरि
गई, जय जय धुनि सुरपुर में भई । अब विलम्ब केहि कारन स्वामी,
कृपा करहु उर अन्तर्यामी । जय जय लखन प्राण के दाता, आतुर
होय दु:ख करहु निपाता । जै गिरिधर जै जै सुख सागर, सुर समूह
समरथ भटनागर । ॐ हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले, बैरिहि मारू बज्र की
कीले । गदा बज्र लै बैरिहिं मारो, महाराज प्रभु दास उबारो ।
ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो, बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।
ॐ ह्रिं ह्रिं ह्रिं हनुमन्त कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।
सत्य होहु हरि शपथ पायके, राम दूत धरु मारु जाय के । जय जय जय
हनुमन्त अगाधा, दु:ख पावत जन केहि अपराधा । पूजा जप तप नेम
अचारा, नहिं जानत हौं दास तुम्हारा । वन उपवन मग गिरि गृह
माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं । पांय परौं कर जोरि मनावौं,
येहि अवसर अब केहि गोहरावौं । जय अंजनि कुमार बलवन्ता,
शंकर सुवन वीर हनुमन्ता । बदन कराल काल कुल घालक, राम
सहाय सदा प्रतिपालक । भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर, अग्नि
बेताल काल मारी मर । इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की, राखउ
नाथ मरजाद नाम की । जनकसुता हरि दास कहावो, ताकी
शपथ विलम्ब न लावो । जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होत
दुसह दु:ख नाशा । चरन शरण कर जोरि मनावौं, यहि अवसर अब
केहि गोहरावौं । उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई, पांय परौं कर
जोरि मनाई । ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल दल । अपने
जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो । यह बजरंग बाण
जेहि मारै, ताहि कहो फिर कौन उबारै । पाठ करै बजरंग बाण
की, हनुमत रक्षा करै प्राण की । यह बजरंग बाण जो जापै, ताते
भूत-प्रेत सब कांपै । धूप देय अरु जपै हमेशा, ताके तन नहिं रहै कलेशा

दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान॥ ==

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