19.2.15
काल सर्प दोष
पंचक में हैं ये कार्य वर्जित
पंचक में हैं ये कार्य वर्जित
ज्योतिष में उल्लेख मिलता है कि जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तब उस समय को पंचक कहते हैं। त्रेतायुग में
श्रीराम ने जब रावण को मारा था, उस समय
यही स्थितियां थीं। यानी घनिष्ठा से रेवती तक जो पांच
नक्षत्र (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद एवं रेवती) थे इन्हें पंचक कहा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है
कि रावण के मरने के बाद से ही पांच दिन का पंचक
माना जाता है।
कुछ विद्वानों ने इन नक्षत्रों को अशुभ माना है इसलिए इन दिनों में शुभ कार्य नहीं होते हैं।
पंचक में हैं ये कार्य वर्जित
पंचक में अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर उस कुटुंब में पांच मृत्यु और हो जाती है।
इन दिनों में चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है।
ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
रेवती नक्षत्र में घर की छत नहीं बनाना चाहिए, इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।
घनिष्ठा नक्षत्र के समय घास, लकड़ी आदि ईंधन
जमा नहीं करनी चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।
इन दिनों में दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए
क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है।
14.2.15
पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम कायम रखना है तो यह जरुरी ह
अक्सर पति-पत्नी के संबंधों में थोड़े समय बाद ही तनाव पैदा होने लग जाता है। गृहस्थी एक जंजाल लगने लगती है।ऐसा सिर्फ एक ही कारण से होता है। वो कारण है पति-पत्नी के विचारों का तालमेल नहीं होना। एक-दूसरे को समझे बिना ही अक्सर गृहस्थी शुरू हो जाती है, ना परिवार को समझा, ना एक दूसरे को।
भागवत के एक प्रसंग में देखिए, भगवान कृष्ण
की पत्नी सत्यभामा द्रौपदी से पूछ रही है कि वो पांच
पतियों को अपने वश में कैसे रखती है। कोई भी उसकी बात नहीं काटता। हर पति उसे उतना ही चाहता है। आखिर ऐसा कौन सा जादू है। द्रौपदी ने जो जवाब दिया वो आज हर एक गृहस्थ के लिए जरूरी है।
भागवत हमें इसके बारे में भी गंभीरता से समझाती है। एक प्रसंग है
द्रोपदी भगवान कृष्ण की रानी सत्यभामा को समझा रही हैं कि महिला परिवार को प्रेम से कैसे चला सकती हैं। द्रौपदी कह रही है कि जो समझदार, परिपक्व और सुघढ़ गृहिणी होती है वो एक काम यह करे कि अपने परिवार के रिश्तों की पूरी जानकारी रखे। एक भी रिश्ता चूक गए तो वह रिश्ता अपमानित हो सकता है। प्रत्येक रिश्ते की जानकारी रखिए जो पुरूखों से चले आ रहे हैं।
द्रौपदी कहती है कि मैं अपने पांडव परिवार के एक-एक रिश्ते से परिचित हूं। सबसे पहले मैंने इसका अध्ययन किया।
आप देखिए पांच हजार साल पहले चेतावनी दी जा रही है।अभी भी ऐसा होता है कभी घर में पुरूष का निधन हो जाए तो मालूम ही नहीं रहता कि कितनी बीमे की पालिसी और कहां इनवेस्टमेंट किया। स्त्रियों को पुरूष अपना काम बताने में आज भी शर्म करते हैं या फिर पता नही किस हीनता की अनुभूति करते हैं।
परिवार में प्रेम कायम रखना हो तो अपने जीवन में
पारदर्शिता लाइए। अहंकार या अज्ञान के कारण कोई
भी बात रहस्य ना रखें। परिवार के लोग एक दूसरे से दुराव-छुपाव रखने लगें तो प्रेम का अंत होना तय है। प्रेम को कायम रखने के लिए हमारे पारिवारिक जीवन में खुलापन होना जरूरी है।परिवार के साथ बैठकर अपनी बातें साझा करें, इससे प्रेम तो बढ़ेगा ही, साथ ही कई समस्याओं का निराकरण भी स्वत:ही हो जाएगा।
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भूत के सपने आते हैं तो पलंग के नीचे रखें उल्टा तवा, क्योंकि...
भूत के सपने आते हैं तो पलंग के नीचे रखें उल्टा तवा, क्योंकि...
अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है पर्याप्त नींद। स्वस्थ जीवन के कम से कम 6 घंटे की प्रतिदिन लेना आवश्यक है। अन्यथा आलस्य बना रहता है और बीमारियां होने की संभावनाएं बनती हैं। नींद
पूरी न होने के पीछे कारण हो सकते हैं। इन कारणों में से एक है बुरे या डरावने सपने आना।
यदि किसी व्यक्ति को बुरे या भयानक सपने दिखाई देते हैं जिनकी वजह से नींद खुल जाती है तो निश्चित ही यह
स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इस अवस्था से बचने के लिए ज्योतिष के अनुसार एक टोटका या उपाय बताया गया है।
इसके अनुसार रात को सोते समय या नींद में सपने देखकर यदि भय लगता हो तो पंलग के नीचे रोटी बनाने के तवा को उल्टा करके रख दें। इस उपाय से निश्चित ही बुरे सपने आना बंद हो जाएंगे।पलंग के नीचे तवा रखने से हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद
नकारात्मक ऊर्जा निष्क्रिय हो जाती है। इसी नकारात्मक ऊर्जा की वजह से बुरे सपने दिखाई देते हैं। इन बुरी शक्तियां के प्रभाव में होने से हमारा दिमाग इस प्रकार की बातों को ही सोचता है। पलंग के नीचे तवा रखने पर इन विचारों पर विराम लगता है और नींद अच्छी आती है।
इसके साथ ही रात को सोते समय भगवान या इष्ट देवता का नाम लेकर सोना चाहिए। इस उपाय से भी बुरे सपने आना बंद हो जाते हैं और नींद अच्छी आती है।
पत्नी यदि सुंदर नहीं हो तब भी दुखी नहीं होना चाहिए...
पत्नी यदि सुंदर नहीं हो तब भी दुखी नहीं होना चाहिए...
जीवन में अधिकांश परेशानियों की वजह है असंतोष। जो वस्तुएं या सुख-सुविधाएं हमें प्राप्त होती हैं हमें उनसे संतुष्ट रहना चाहिए। यदि असंतोष बना रहेगा तो निश्चित ही दुख और परेशानियों का जन्म होता है। आचार्य चाणक्य ने तीन ऐसी परिस्थितियां बताई हैं, जिसमें व्यक्ति को संतोष करना चाहिए। चाणक्य कहते हैं-
संतोषषस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्तव्यो अध्ययने जपदानयो:।।
हमें तीन बातों में संतोष कर लेना चाहिए अन्यथा कष्ट
झेलना पड़ते हैं। ये तीन बातें हैं पत्नी की सुंदरता के संबंध में, भोजन के संबंध में, धन जितना भी हो। इसके अलावा तीन बातों में कभी भी संतोष नहीं करना चाहिए।आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पत्नी यदि सुंदर न
हो तो व्यक्ति को संतोष कर लेना चाहिए। विवाह के बाद किसी भी परिस्थिति में अन्य स्त्रियों के पीछे
नहीं भागना चाहिए। क्योंकि ऐसा होने पर व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियां प्रारंभ हो जाती है। अत: इन दुखों से बचने के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए। भोजन जैसा भी मिले खुशी से ग्रहण करना चाहिए। व्यक्ति के पास जितना पैसा हो, जितनी उसकी आय हो उसी में खुश रहना चाहिए। आय से अधिक खर्च नहीं करना चाहिए। जैसी आर्थिक स्थिति हो व्यक्ति को उसी में संतोष कर लेना चाहिए।
ये तीन बातें ऐसी हैं जिनमें व्यक्ति को संतुष्ट रहना चाहिए।इसके अतिरिक्त तीन ऐसी बातें हैं जिनमें हमें कभी भी संतोष नहीं करना चाहिए। चाणक्य के अनुसार अध्ययन, दान और जप में संतोष नहीं करना चाहिए। ये तीनों कर्म आप जितना अधिक
करेंगे आपके पुण्यों में उतनी ही वृद्धि होगी।
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तिजोरी में रखना चाहिए एक सुपारी क्योंकि ये बढ़ाती हैपैसा
तिजोरी में रखना चाहिए एक सुपारी क्योंकि ये बढ़ाती हैपैसा
तिजोरी जहां पैसा, ज्वेलरी औरअन्य बेशकीमती वस्तुएं
रखी जाती है। अत: यह जगह बहुत ही पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होनी चाहिए।
जिससे कि घर में बरकत बनी रह सके और पैसों की कभी कमी न आए। यदि तिजोरी के आसपास
कोई नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हैं तो उस घर में
कभी भी पैसों कमी कभी पूरी नहीं हो सकेगी। ऐसे में
शास्त्रों के अनुसार कुछ उपाय बताए गए हैं।तिजोरी में हमेशा पैसा ही पैसा भरा रहे, धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा सदैव आप पर बनी रहे, इसके लिए एक छोटा सा उपाय अपनाएं। शास्त्रों के अनुसार श्रीगणेश
रिद्धि और सिद्ध के दाता है। कोई भी भक्त नित्य श्रीगणेश का ध्यान करता है तो उसे कभी भी धन-धान्य
की कमी नहीं सताती। श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय हैं। प्रतिदिन गणेशजी की विधिवत पूजा करें और किसी भी शुभ मुहूर्त में विशेष पूजा करें। पूजन में गणेशजी के प्रतीक स्वरूप सुपारी रखी जाती है। बस यही सुपारी पूजा पूर्ण होने के बाद अपनी तिजोरी में रख दें।
पूजा में उपयोग की गई सुपारी में श्रीगणेश का वास होता है।
अत: यह तिजोरी में रखने से तिजोरी के आसपास के क्षेत्र में सकारात्मक और पवित्र ऊर्जा सक्रिय रहेगी जो नकारात्मक शक्तियों को दूर रखेगी। पूजा में उपयोग की जाने वाली सुपारी बाजार में मात्र 1 रुपए में ही प्राप्त हो जाती है
लेकिन विधिविधान से इसकी पूजा कर दी जाए तो यह
चमत्कारी हो जाती है। जिस व्यक्ति के पास सिद्ध
सुपारी होती है वह कभी भी पैसों की तंगी नहीं देखता, उसके पास हमेशा पर्याप्त पैसा रहता है।
4.2.15
राशि अनुसार सही कैरियर
राशि अनुसार सही कैरियर
मेष राशि (Aries Occupation)
मेष राशि का स्वामी मंगल है. जन्मपत्री के दशम भाव में मेष राशि है तो आपको साहसिक कार्यों में सफलता आसनी से मिलती है.आपके लिए रक्षा विभाग, पुलिस विभाग, धातु से सम्बन्धित कार्य, राजनीतिक एवं प्रशासिक कार्य एवं चिकित्सक का पेशा लाभकारी और अनुकूल परिणाम देने वाला होता है.पत्रकारिता के क्षेत्र में भी आपको कामयाबी मिलती है.
वृष राशि (Taurus Occupation)
शुक्र वृष राशि का स्वामी होता है.आपकी कुण्डली के दशम भाव में वृष राशि है तो आपको संगीत, सौन्दर्य प्रशाधन,मीडिया में रोजगार की तलाश करनी चाहिए.आपके लिए बैंक की नौकरी, विज्ञापन का कार्य, इलैक्ट्रॉनिक्स का काम लाभप्रद होता है.वाणिज्य के क्षेत्र मेंभी आपको सफलता मिलती है.
मिथुन राशि (Gemini Occupation)
मिथुन राशि का स्वामी बुध ग्रह होता है.आपकी कुण्डली के दशम भाव में मिथुन राशि हैं तो आपको अपना कैरियर मीडिया में बनाना चाहिए.आपके लिए इंजीनियरिंग, शिक्षण,लेखन एवं अनुवादक का कार्य भी उत्तम रहने वाला है.आप संपादक और साहित्यकार भी बन सकते हैं.
कर्क राशि (Cancer Occupation)
चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी है.यह राशि दशम भाव में है तो चिकित्सक का पेशा आपके लिए लाभप्रद रहेगा.होटल का कारोबार, बेकरी का काम, पशुपालन का कार्य आपको लाभ देगा. चाय काफी का कारोबार भी आपके लिए फायदेमंद रहेगा.
सिंह राशि (Leo Occupation)
सूर्य सिंह राशि का स्वामी होता है.आपकी कुण्डली के दशम भाव में सिंह राशि है तो आपको प्रशासनिक क्षेत्र में रोजगार की तलाश करनी चाहिए.आपके लिए शेयर का कारोबार,आभूषण का काम, दबाईयों का कारोबार कामयाबी दिलाने वाला होगा.आप फिल्मोद्योग में भी सफल हो सकते हैं.
कन्या राशि (Virgo Occupation)
कन्या राशि का स्वामी बुध ग्रह होता है.आपकी जन्मपत्री मेंअगर कन्या राशि दशम भाव में है तो आप एकाउंटेंट बन सकते हैं.आप क्लर्क, चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, वायुयान चालक,लेखक, सम्पदाक हो सकते हैं.आप चाहें तो व्यापार भी कर सकते
हैं.डाक विभाग की नौकरी एवं कलम कापी की दुकान
भी आपके लिए बेहतर लाभ देने वाला होगा.
तुला राशि (Libra Occupation)
आपकी कुण्डली के दशम भाव में तुला राशि है.इस
राशि का स्वामी शुक्र है.आपके लिए न्याय विभाग में बेहतर संभावना है.आप अभिनय, गायन, फैशन उद्योग, छाया चित्रकार के रूप में भी कैरियर बना सकते हैं.फर्नीचर का कारोबार, होटल का कारोबार, दर्जी का काम भी आपके लिए लाभप्रद रहेगा.
वृश्चिक राशि (Scorpio )
कुण्डली का दशम भाव कार्य भाव के रूप में जाना जाता है.इस भाव में वृश्चिक राशि है.इस राशि का स्वामी मंगल है.आप पुलिस विभाग, रक्षा विभाग, रेलवे, दूर संचार विभाग में कैरियर की तलाश कर सकते हैं.आप नाविक, बीमा कर्ता एवं चिकित्सा के क्षेत्र में भी प्रयास कर सकते हैं.मशीनरी कार्यों में भी आपको लाभ मिलेगा.
धनु राशि (Sagattarus Occupation)
आपकी कुण्डली के दशम भाव में 9 अंक लिखा है तो इस भाव में धनु राशि है.इस राशि का स्वामी गुरू है.अगर खेल के प्रति लगाव है तो आप खेल को कैरियर के रूप में ले सकते हैं.आप वकालत
अथवा लेखापाल के तौर पर भी कार्य कर सकते हैं.शिक्षा के क्षेत्र में भी आप कामयाबी हासिल कर सकते है.धर्म प्रचारक एवं धर्म गुरू के रूप में भी आप ख्याति प्राप्त कर सकते हैं.
मकर राशि (Capricorn Occupation)
मकर राशि का स्वामी शनि होता है.आपकी कुण्डली के दशमभाव में 10 राशि यानी मकर बैठा हुआ है.आप खान में काम कर सकते हैं.कृषि विभाग एवं धातु से सम्बन्धित कार्य भी आपके लिए अनुकूल रहेगा.लकड़ी का कारोबार एवं लोहे से सम्बन्धित कारोबार भी आपके लिए लाभप्रद रहेगा.
कुम्भ राशि (Aquarius Occupation)
कुम्भ राशि का स्वामी भी शनि ग्रह है.आपकी कुण्डली में कुम्भ राशि कार्य भाव में है.आप बिजली विभाग में प्रयास कर सकते हैं.आपके लिए सलाहकार, अभियंत्रिकी, चिकित्सा,ज्योतिष का क्षेत्र लाभप्रद है.आप तकनीकी क्षेत्र मेंभी कैरियर की तलाश कर सकते हैं.वायुयान से सम्बन्धित क्षेत्र भी आपके लिए लाभप्रद रहेगा.
मीन राशि (Pices Occupation)
कुण्डली में अंक 12 मीन राशि का संकेत है.इस
राशि का स्वामी गुरू होता है.आपकी कुण्डली के दशम भाव में मीन राशि है.आप अपना कैरियर लेखक, संपादक, चिकित्सक,धर्म प्रचारक के रूप में बना सकते हैं.आप फिल्म और मनोरंजन के क्षेत्र में अथवा जासूसी में भी संभावनाओं की तलाश कर सकते हैं.
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1.2.15
शनिकृपा के बिना संभव नहीं है आपके घर में लक्ष्मी का आगमन
शनिकृपा के बिना संभव नहीं है आपके घर में
लक्ष्मी का आगमन
शास्त्रानुसार पौराणिक काल में आकाशगंगा का विचरण
करते हुए लक्ष्मी जी शानि लोक पहुंची। आदर सत्कार पश्चात शनिदेव ने माता लक्ष्मी से उनके आने का कारण पूछा। इस पर महालक्ष्मी ने शनिदेव से प्रशन पूछा कि "हे शनि देवता! मैं
जगात्प्रसूता विष्णुपत्नी लक्ष्मी अपने स्वभाव और प्रभाव से लोगों को धनवान बनाती हूं और आप लोगों का धन छीन कर उन्हें भिखारी बना देते हैं। आखिर आप ऐसा कार्य क्यों करते हैं ?
और आपका मेरे विरूद्ध कार्य करने का उद्देश क्या है ? और क्या मेरा लोगों को सुख और संपन्नता देना दोषपूर्ण है?"
लक्ष्मी जी का यह प्रशन सुनने के बाद जगत न्यायाधीश
शनि प्रसन्न मुद्रा में माता लक्ष्मी से बोले कि,"हे
देवी लक्ष्मी, इसमें आपका कोई दोष नहीं है।
जो जीवात्मा स्वयं जानबूझकर भ्रष्टाचार व अत्याचार में
लिप्त रहती हैं तथा क्रूर और दुष्कर्म से लोगों को पीड़ित
करती हैं। उन्हें मैं छायामार्तंड शनि दंड अवश्य देता हूं। ऐसे पापी प्राणियों को दंड देने का कार्य मुझे परमेश्वर ने सौंपा है
इसलिए मैं सूर्यपुत्र शनि न्यायधीश बनकर जीवों को उनके कर्मों के अनुसार दण्डित करता हूं।"
उत्तर सुनने के बाद माता लक्ष्मी ने शनि से कहा कि,"हे शनिदेव!
मुझे आपकी कथनी पर अविश्वास है और मैं अभी एक निर्धन और संतानहीन मनुष्य को अपनी इच्छा से धनी व पुत्रवान बना देती हूं।"
महालक्ष्मी जी ने अपनी इच्छाशक्ति से एक निर्धन और
संतानहीन मनुष्य को धनवान और पुत्रवान बना दिया। इसके बाद वह शनिदेव से बोलीं,"देखिए शनिदेव मैंने सुकर्म करते हुए अपना कार्य कर दिया अब आप बाताएं आप क्या कर सकते हैं?"
शनि ने अपने सामान्य स्वभाव के अनुसार उस व्यक्ति पर दृष्टि डाली तो वह व्यक्ति गरीब हो गया।
पुनः उसकी ऐसी स्थिति हो गई कि वह पूर्व वाले स्थान परआकर भिक्षावृत्ति करने लगा। यह देखकर
माता लक्ष्मी आश्चर्यचकित हो गईं। तब माता लक्ष्मी,
अचंभित मुद्रा में शनिदेव से कहा कि,"हे सूर्यपुत्र! यह सब कैसी माया है और ये हुआ कैसे मुझे विस्तारपूर्वक बताएं।"
शनि माता लक्ष्मी से बोले,"हे महादेवी! इस मनुष्य ने अपने पूर्व जन्म में सहस्त्र निर्दोष लोगों का संघार किया था। इसने निजस्वार्थ हेतु पहले गांव के गांव उजाड़ डाले थे, जगह-जगह आग लगाई थी। यह मनुष्य क्रूर महापापी निर्लज्ज और परमअत्याचारी है। हे जगदीश्वरी! भले ही आप अपनी कृपादृष्टि से
इस महापापी मनुष्य को पुत्रवान और धनवान बना दीजिए परंतु इस महापापी मनुष्य के पूर्वजन्मों के कर्म कहां जाएंगे और इसके
पापकर्मो का घड़ा भर चुका है।"
शनिदेव ने माता लक्ष्मी को कर्मचक्र से संबंधित अनेक गूढ़ रहस्य बताए तथा शनिदेव ने महादेवी से कहा कि,"हे देवी नारायणी!इस संपूर्ण ब्रहमांड में मात्र कर्म ही प्रधान और संपूर्ण जगत का मूल भी कर्म ही हैं तथा संसार के सभी जीव-जंतु, पेड़- पौधे,
कीट-पतंगे सूक्ष्मजीव भी कर्म का फल भोगने के लिए विवश हैं।यहां तक की स्वयं परमेश्वर भी अपने बनाए हुए नियम और कर्मो में बंधा हुआ है। अतः हे देवी! मैंने इसके पूर्वजन्मों के कर्मों के अनुरूप
ही इसे फिर से दरिद्र और संतानहीन बना दिया है तथा इसमें मेरा दोष नहीं बल्कि दोष उसके अपने कर्मों का है।"अंत में विनम्रतापूर्वक शनिदेव ने कहा,"हे नारायणी! जो लोग परोपकारी, सुकर्मी, तपस्वी, सदाचारी, दानी,
दूसरों की भलाई करने वाले होते हैं वे ही पूर्व जन्मों के
कर्मो को काटकर अपने अगले जन्म में ऐश्वर्यवान और पुत्रवान बनते हैं।"
इस प्रकार शनिदेव के वचन सुनकर माता लक्ष्मी अति प्रसन्न हुईंऔर उन्होंने शनि से कहा कि “हे न्यायाधीश सूर्यपुत्र! आप धन्य हैं। परमेश्वर ने आप पर अत्यधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है।आपके इस स्पष्टीकरण से मुझे कर्मचक्र के अनेक गूढ़ रहस्य समझ में आ
गए हैं और आपका सैदेव कल्याण हो।"
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गणपति जी के किस रूप का पूजन करने से मिलती हैं मनभावन वस्तुएं
गणपति जी के किस रूप का पूजन करने से मिलती हैं मनभावन वस्तुएं
● सफेद आंकड़े के गणेश
तंत्र क्रियाओं में सफेद आंकड़ा (एक प्रकार का पौधा) की जड़ से निर्मित श्रीगणेश का विशेष महत्व है। इसे श्वेतार्क गणपति भी कहते हैं। कई टोने-टोटकों में श्रीगणेश के इस स्वरूप का उपयोग किया जाता है। श्वेतार्क गणपति को घर में स्थापित कर विधि-विधान से पूजा करने पर घर में किसी ऊपरी बाधा का असर नहीं होता।
● मूंगा गणेश
मूंगा सिंदूरी रंग का एक रत्न होता है। इससे निर्मित श्रीगणेश की प्रतिमा को पूजा स्थान पर स्थापित करने व नित्य पूजा करने से शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है साथ ही इससे बने श्रीगणेश अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
● पन्ने के गणेश
पन्ना भी हरे रंग का एक रत्न होता है। इससे निर्मित श्रीगणेश की प्रतिमा की पूजा स्थान पर स्थापित कर विधि-विधान से पूजा करने पर बुद्धि व यश प्राप्त होता है। विद्यार्थियों के लिए पन्ने के गणेशजी की पूजा करना श्रेष्ठ होता है।
● चांदी के गणेश
जो लोग धन की इच्छा रखते हैं, उन्हें चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा की पूजा करना चाहिए। इन्हें पूजा घर में स्थापित कर दूर्वा चढ़ाने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और धन का आगमन भी तेजी से होने लगता है। इनकी पूजा करने से जीवन का सुख प्राप्त होता है।
● चंदन की लकड़ी के गणेश
चंदन की लकड़ी से निर्मित श्रीगणेश की प्रतिमा घर में
कहीं भी स्थापित कर सकते हैं। इससे घर में किसी प्रकार की विपदा नहीं आती साथ ही परिवार के सदस्यों में सामंजस्य बना रहता है व पारिवारिक माहौल खुशहाल रहता है।
● पारद गणेश
धन-संपत्ति प्राप्ति के लिए पारद यानी पारे से निर्मित गणेश प्रतिमा की पूजा भी की जाती है। यदि किसी ने आपके घर पर या घर के किसी सदस्य पर तंत्र प्रयोग किया हो तो पारद गणेश की पूजा से उसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता।
● बांसुरी बजाते गणेश
यदि आपके घर में रोज क्लेश या विवाद होता है
तो आपको बांसुरी बजाते हुए श्रीगणेश की तस्वीर या मूर्ति घर में स्थापित करनी चाहिए। बांसुरी बजाते हुए श्रीगणेश की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वातावरण रहता है।
● हरे रंग के गणेश
हरे रंग के श्रीगणेश की पूजा करने से ज्ञान व
बुद्धि की वृद्धि होती है। विद्यार्थियों को विशेषतौर पर हरे
रंग की श्रीगणेश की मूर्ति या तस्वीर का पूजन करना चाहिए।
● हाथी पर बैठे गणेश
यदि आप धन की इच्छा रखते हैं तो आपको हाथी पर बैठे श्रीगणेश की पूजा करनी चाहिए। हाथी पर विराजित
श्रीगणेश की पूजा करने से पैसा, इज्जत व शौहरत मिलती है।
● नाचते हुए गणेश
नाचते हुए गणेश की पूजा करने से मन को शांति का अनुभव होता है। यदि आप किसी तनाव में हैं तो आपको प्रतिदिन नाचते हुए श्रीगणेश की पूजा करनी चाहिए।
● सफेद आंकड़े के गणेश
तंत्र क्रियाओं में सफेद आंकड़ा (एक प्रकार का पौधा) की जड़ से निर्मित श्रीगणेश का विशेष महत्व है। इसे श्वेतार्क गणपति भी कहते हैं। कई टोने-टोटकों में श्रीगणेश के इस स्वरूप का उपयोग किया जाता है। श्वेतार्क गणपति को घर में स्थापित कर विधि-विधान से पूजा करने पर घर में किसी ऊपरी बाधा का असर नहीं होता।
● पंचमुखी गणेश
तंत्र क्रिया की सिद्धि के लिए पंचमुखी श्रीगणेश का पूजन किया जाता है, इससे कोई भी तंत्र
क्रिया किसी भी बाधा के संपन्न हो जाती है। तंत्र
क्रिया की सिद्धि के लिए पंचमुखी श्रीगणेश का पूजन
किया जाता है, इससे कोई भी तंत्र
क्रिया किसी भी बाधा के संपन्न हो जाती है।
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